भारत में उद्यमियों के लिए निजी पूंजी जुटाना अब भी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। जटिल और समय लेने वाली नियामक प्रक्रियाएँ, विभिन्न निकायों के बीच समन्वय की कमी, और उच्च नियामक लागत छोटे और मध्यम उद्यमों (SMEs) के लिए पूंजी तक पहुँच को कठिन बना देती हैं। वैधानिक ढाँचे की अस्पष्टता और पारदर्शिता की कमी निवेशकों के विश्वास को भी प्रभावित करती है, जिससे पूंजी प्रवाह रुक जाता है। इन बाधाओं को दूर करने के लिए सरकार को नियामक प्रक्रियाओं को सरल और डिजिटल बनाना होगा, विभिन्न नियामक संस्थाओं के बीच बेहतर समन्वय स्थापित करना होगा, और एकल खिड़की प्रणाली (Single Window System) लागू करनी होगी। साथ ही, पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देकर, नियामक लागत को कम करने और स्पष्ट वैधानिक ढाँचे की स्थापना से उद्यमियों और निवेशकों दोनों को लाभ मिलेगा। यह सुधार न केवल निजी पूंजी जुटाने को आसान बनाएंगे, बल्कि भारत की आर्थिक वृद्धि और रोजगार सृजन को भी नई गति देंगे। भारत में निजी पूंजी जुटाना, विकास और रोजगार सृजन के लिए एक महत्वपूर्ण इंजन है। हालांकि, इस प्रक्रिया में कई नियामक बाधाएँ उद्यमियों और निवेशकों के सा...